आप अपनी पत्नी के समर्थन के बिना कैसे रह पाएंगे?

संजय नाम का एक आदमी था।वो शहर मे अच्छी नौकरी करता था।संजय की शादी की उम्र हो चुकी थी और उसे नौकरी मिलने से वो जीवन मे settle भी हो चुका था।इसीलिए उसने शादी करने का फैसला कर लिया।

संजय ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की।उस लड़की नाम नेहा था।शादी हों जाने के बाद वे दोनो ही खुशी से अपना जीवन जी रहे थे।नेहा इतनी सुंदर थी की संजय रोज उसकी सुंदरता की प्रशंसा करता था।मगर नेहा की सुंदरता के परे संजय उससे उतना ही प्यार भी करता था।लेकिन कुछ महीनों के बाद,नेहा को पता चला कि वह एक त्वचा रोग से पीड़ित है।

और उसके कारण धीरे-धीरे नेहा की त्वचा खराब होने लगी और वो अपनी सुंदरता खोने लगी।यह जानकर,नेहा चिंता और दुख मे मारे सोचने लगी कि अगर मैं बदसूरत हो गई तो क्या होगा, मेरे पति मुझसे नफरत करने लगेंगे..मैं उनकी नफरत बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी।इस बीच एक दिन उसके पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ता है।

काम खत्म होने तक रात हो जाती है,मगर वो रात मे ही घर के लिए रवाना हो जाता है। जब वो घर आने के लिए निकल पड़ता है तभी बीच रास्ते उसका एक एक्सीडेंट हो जाता है।उस एक्सीडेंट मे संजय उसकी दोनों आंखें गवा बैठता है।इतना सब होने के बावजूद उनका वैवाहिक जीवन सामान्य रूप से आगे बढ़ता रहा। समय बीतता गया और नेहा पूरी तरह से अपनी सुंदरता खो बैठी।

उसकी त्वचा की बीमारी के कारन वह बदसूरत हो गई थी।लेकिन क्यूंकि संजय कि दोनो आँखे accident के कारण चली गई थी,इसीलिए वो अब देख नही सकता। इसलिए उनके वैवाहिक जीवन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।संजय हमेशा की तरह नेहा से प्यार करता रहा। लेकिन इन दोनो की तकदीर मे कुछ ओर लिखा था।एक दिन अचानक नेहा की मृत्यु हो गई। संजय को एकदम झटका लगा।

वो अब पुरी तरह अकेला पड़ चुका था।दुखी मन से उसने फैसला किया की वो इस शहर को छोड़कर चला जाएगा। उसने अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं।अगले दिन जब वह जाने ही वाला होता है की उसका पड़ोसी उसे देख लेता है और उसके पास आता है और कहता है की, “आप अपनी पत्नी के समर्थन के बिना कैसे रह पाएंगे?

आप देख नहीं सकते हैं और आपकी पत्नी हमेशा आपके लिए कई सालों तक आपकी सहायता करती आ रही थी।अब आपको अपनी इन अंधी आँखों से अकेले ही जीवन बिताना है। यह आपके लिए बहुत मुश्किल होगा।” इसके ज़वाब मे संजय जो बात पड़ोसी को बताता है,पड़ोसी की आँखे,मूँह और दिमाग़ खुला का खुला रह जाता है।

संजय कहता है की,”दोस्त मैं अंधा नहीं हूं। मैं सिर्फ अंधा होने का नाटक कर रहा था। क्योंकि जब मेरी पत्नी को उसकी बीमारी के बारे में पता चला तो मुझे एहसास हुआ कि वह इससे परेशान थी और डरी हुई थी।अगर उसे यह पता चलता की मै उसकी कुरुपता को देख सकता था,तो उसे उसकी बीमारी से ज्यादा दुख होता।मै उससे पूरे दिल से प्यार करता था।

वह बहुत अच्छी पत्नी थी और उसे दुख नहीं पहुंचाना चाहता था। मैं बस उसे खुश रखना चाहता था। इसलिए इतने सालों तक मैंने अंधे होने का नाटक किया।


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