ऐसा कितनी बार होता है कि हम कुछ करना चाहते हैं,लेकिन फिर उस लक्ष्य की तरफ आगे ही नहीं बढ़ते हैं. क्यों

  • ऐसा कितनी बार होता है कि हम कुछ करना चाहते हैं. लेकिन फिर उस लक्ष्य की तरफ आगे ही नहीं बढ़ते हैं. ऐसा ज़रूरी नहीं है कि वो काम बहुत बड़ा हो, ऐसा छोटे-छोटे कामों के लिए भी होता है. भले ही हमें अपने घर की सफाई ही क्यों ना करनी हो? लेकिन हम उसे करने के लिए एफर्ट्स ही नहीं करते हैं. कई बार तो हमें पता होता है कि हम काम चोरी कर रहे हैं. हमें ये भी पता होता है कि अगर हम अभी एफर्ट्स नहीं करेंगे तो फिर हमारा टारगेट पूरा नहीं होगा. फिर भी हम कुछ नहीं करते हैं. ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब आपको इस किताब के चैप्टर्स में मिल जाएगा. हम लोगों में से कई लोगों को लाइफ में कमिटमेंट की कमी का भी सामना करना पड़ता है. कई बार तो हमें गिल्ट भी होता रहता है. लेकिन फिर भी हम अपनी लाइफ को सुधार नहीं पाते हैं. जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि ऐसा बस बड़े गोल्स की तरफ बढ़ते हुए नहीं होता है. बल्कि हम अपने बेसिक टास्क भी पूरे नहीं कर पाते हैं.

  • अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. तो फिर आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. लेखिका बताती हैं कि सभी दिक्कतों को खत्म किया जा सकता है. हमें बस लाइफ के कुछ हैक्स के बारे में पता होना चाहिए. अगर हम उन हैक्स के बारे में जान जाएँ तो हम लाइफ को आसान बना सकते हैं. इन चैप्टर्स को सुनने की शुरुआत कर दीजिए. आपको पता चल जाएगा कि खुद से किए हुए वादों को आप कैसे पूरा कर सकते हैं. इसके साथ ही आप यह भी सीखेंगे किलाइफ से नेगेटिव थिंकिंग को कैसे बाहर फेंकना है?क्राइसिस मैनेजमेंट क्या होता है? और एंग्जायटी और बॉस से कैसे डील किया जा सकता है?

  • तो चलिए शुरू करते हैं!

  • आपके गोल्स और हैप्पीनेस के बीच में क्या आ रहा है? क्या आपको पता है कि शुरुआत कहाँ से करना है? 90 प्रतीशत लोगों को पता ही नहीं होता है कि शुरुआत कहाँ से करना है? सबसे बड़ी दिक्कत भी यही है. अगर आपकी भी यही दिक्कत है. तो सबसे पहले अपने गोल्स को इक्ट्ठा करने की शुरुआत करिए. कम से कम आपको पता तो चलेगा की जाना कहाँ है?

  • जब मंज़िल के बारे में आपको पता होगा तो फिर रास्ता भी मिल जाएगा. गोल्स को सेट करते समय सबसे ज़रूरी है कि आप रीयलिस्टिक रहें. आपको पता होना चाहिए कि आप क्या अचीव कर सकते हैं. ऐसा देखा जाता है कि गोल्स की बात आते ही लोग शाहरुख़ खान बनने की सोचने लगते हैं. सोचना गलत बात नहीं है. लेकिन अपने अंदर के टैलेंट को पहचानना भी तो ज़रूरी है. इसलिए लेखिका कहती हैं कि गोल्स को सेट करते समय रीयलिस्टिक रहना बहुत ज़रूरी होता है. अगर आप अनरीयलिस्टिक गोल सेट करते रहेंगे तो फिर आप कभी भी विनर नहीं बन पाएंगे. विनर की क्वालिटी ही ये होती है कि उसे मालुम होता है कि वो क्या कर सकता है. अगर आप नार्मल इंसान हो और आपको शेप में आना है. तो फिर आपका जिम का गोल थोड़ा वजन कम करना होना चाहिए. यहाँ पर अगर आप मिलिंद सोमन के जैसे मॉडल बनने का गोल बना लेंगे. तो फिर आप एक हफ्ते बाद बिस्तर में पड़े हुए ही मिलेंगे. इसलिए गोल को सिम्पल रखिए, गोल को अपने हिसाब से तैयार करिए.

  • इसलिए अनरीयलिस्टिक गोल को दिमाग और जिंदगी से बाहर कर दीजिए. अपने रीयलिस्टिक गोल्स को एक लिस्ट के फॉर्म में लिख लीजिए. इस तरह से आप अपनी लाइफ में बदलाव लाने की शुरुआत कर सकते हैं. छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़े-बड़े बदलाव होते हैं. इसलिए खुद के दिमाग को सही और सटीक गोल देने का काम करिए. इसलिए कहा भी गया है कि दूसरों की लाइफ को देखकर अपनी लाइफ के गोल्स को सेट नहीं करना चाहिए. खुद की लाइफ को मेज़र करने के बाद खुद के लिए गोल्स सेट करिए. जिसे आप पाने की कोशिश कर सकें. लाइफ में प्रोग्रेस करने का एक और तरीका है. वो ये है कि टाइम के साथ आपका रिलेशनशिप अच्छा होना चाहिए. अगर आपको ऐसा लगता है कि गोल की तरफ जाने के लिए आपके पास पर्याप्त समय नहीं है. तो इसका मतलब ये है कि आपका टाइम मैनेजमेंट सही नहीं है. इसकी स्किल भी आपको सीखनी पड़ेगी. इसको सुधारने के लिए आपको अपने समय का हिसाब रखने की शुरुआत करनी होगी. आपको पता होना चाहिए कि आप अपने दिन भर का टाइम कहाँ खर्च कर रहे हैं. आपको ये भी पता होना चाहिए कि हर टास्क को करने में आपको कितना समय लगता है? टाइम मैनेजमेंट से आप अपनी लाइफ में काफी ज्यादा पॉजिटिव बदलाव ला सकते हैं.


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