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अगर आप खुल कर सोचना चाहते हैं तो दिमाग को नहीं बल्कि किसी और चीज़ को कलेक्शन बकेट की तरह इस्तेमाल करे
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आपका दिमाग एक सोचने की मशीन है ना की डाटा स्टोर करने की, इसलिए इसका इसतेमाल बस काम करने के सही तरीके को सोचने में करें
आज के भाग दौड़ के ज़माने में अगर आप एक सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं तो आपका एक अच्छा आर्गेनाइजर (organizer) होना बहुत जरुरी है.खासतौर पर जब आप किसी बड़ी पोजीशन पर होते हैं तो आपको रोज़ न जाने कितनी चीज़ों को प्लान करना पड़ता है. आपकी हर सुबह कुछ ऐसी होती है की आप कोई काम कर रहे हैं तभी आपको एक जरुरी मेल अता है कि अपना एंटी-वायरस अपडेट करें, आप बस अपडेट कर हीं रहे होते हैं की आपके रिश्तेदार का कॉल आता है की शाम को आपको उसके घर किसी वेडिंग फंक्शन अटेंड करना है, इन सब झमेलों से आप निपट हीं रहे होते हैं की आपका बॉस एक और नए डॉक्यूमेंट के साथ आपके सर पे खड़ा होता है. ऐसे में इतना सबकुछ मैनेज करना नामुमकिन सा लगता है.
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इसी जद्दोजहद में हम अपने दिमाग का इसतेमाल एक पोर्टेबल स्टोरेज डीवाइस की तरह आधे अधूरे कामों को याद रखने के लिए करने लगते हैं, जैसे की आपके रिश्तेदार के यहाँ शादी कब थी, आपने उस अधूरे डॉक्यूमेंट को कहाँ पर छोड़ा था या आपके बॉस का काम कितना बड़ा है और उसे ख़तम करने की डेडलाइन कब तक की है. बस इन्ही बातों को भर कर हम अपने दिमाग की सोचने और एक्चुअल काम पर कंसन्ट्रेट करने की क्षमता को कम कर देते हैं. इसका नतीजा ये होगा की जब आप डॉक्यूमेंट पे काम कर रहे होंगे तो आपका दिमाग आपको बार बार याद दिलाएगा की शादी में जाना है वहां के लिए क्या गिफ्ट देना है, बॉस को क्या कहना है तो आप एक काम पर कंसन्ट्रेट नहीं कर पाएंगे.
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इसलिए लेखक कहते हैं की अपने दिमाग को बस वर्तमान में हो रहे काम के बारे में ही सोचने दें और उसकी 100% कैपेसिटी को एक बार में एक काम के लिए ही इस्तेमाल करें फिर देखें की आपका दिमाग क्या क्या कर सकता है.
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अगर आप खुल कर सोचना चाहते हैं तो दिमाग को नहीं बल्कि किसी और चीज़ को कलेक्शन बकेट की तरह इस्तेमाल करे
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लेखक कहते हैं की वैसे तो आइडियल तौर पे हमें वहीँ कंसन्ट्रेट करना चाहिए जहाँ हम हैं या जो काम हम कर रहे हों, जैसे की अगर आप किसी मेल को टाइप कर रहे हैं तो बस बाकि सब भूल कर उसी पर ध्यान लगायें या फिर कहीं शौपिंग कर रहे हों या अपने दोस्त से बात कर रहे हों तो बस उसी के बारे में सोचें. लेकिन असल जिंदगी में हमारे दिमाग की एक सताने वाली आदत होती है कि जब भी हम किसी एक काम पर कंसन्ट्रेट करने की कोशिश कर रहे होते हैं वो हमें और 10 ऐसे काम याद दिलाता है जो अधूरे हैं और आप अभी कर भी नहीं सकते जैसे की रस्ते से टिश्यू पेपर लेना, बिजली का बिल भरना ये वो न जाने क्या क्या, इसके कारण एक जगह कंसन्ट्रेट करना मुश्किल हो जाता है.
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तो इससे बचने के लिए लेखक ने कहा है कि अपने दिमाग को इन फ़िज़ूल की बातों से भरने की जगह आप किसी और चीज़ पर इन सारे कामों को नोट कर सकते हैं. जैसे की आप अपना ई-मेल लिख रहे हैं और आपको याद आया की आपको बिल भरना है तो किसी नोटबुक पर उसे लिख लें, इतने में आपका पीयून कोई फाइल लेकर आ गया तो उसे अपनी टेबल पर सामने रख दें और नोट कर लें कि उसमें क्या करना है. ऐसा करने से आपके दिमाग को ये भरोसा हो जाएगा की आपने उन सब अधूरे कामों को अपने ध्यान में रखा है और आपका मन बार बार इधर उधर नहीं भटकेगा.
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लेखक कहते हैं की आपका कलेक्शन बकेट किसी भी तरह का हो सकता है जैसे की आपकी डायरी, नोटबुक या फिर आपके कंप्यूटर या मोबाइल का टू-डू लिस्ट. पर कोशिश हमेशा ये करनी चाहिए की अपने इस बकेट को अपने आस पास ही रखें ताकी जब भी आपको किसी इनफार्मेशन को रिकॉल करने की जरुरत पड़े तो फट से आपका काम हो जाए.
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