जब एक कुत्ते ने प्रभुश्रीरामचंद्रजी से न्याय का एक अनोखा दण्ड माँगा,भगवान इसे मठाधीश बना दिया जाए।’

जब एक कुत्ते ने प्रभुश्रीरामचंद्रजी से न्याय का एक अनोखा दण्ड माँगा,भगवान इसे मठाधीश बना दिया जाए।’

लंकाधीश रावण का वध करने के साथ ही प्रभु श्रीरामचन्द्र जी का वनवास का समय पुरा हो चुका था।वो वनवास काल पुरा करके जब अयोध्या लौटे तब खूब धूम-धाम से उनका राजतिलक हुआ। बड़े सम्मान के साथ उन्हें अयोध्या का राजा बनाया गया।भगवान श्रीराम एक बेहद ही नेकदिल और दयालु राजा थे।इसीलिए जब उन्होंने राज गद्दी संभाली तब अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी को आदेश दिया हुआ था कि हमारे भोजन करने से पहले देखो हमारे द्वार पर कोई भूखा तो नहीं है।एक दिन की बात है लक्ष्मण जी ने प्रभू श्रीरामचन्द्र जी से कहा,’ मैं अभी आवाज लगाकर आया हूं, कोई भी भूखा नहीं है।’
प्रभू श्रीरामचन्द्र जी ने कहा, ‘ दोबारा जाओ और जोर से आवाज लगाओ शायद कोई भूखा रह गया हो। ‘
प्रभू श्रीरामचन्द्र जी का आदेश पालन करते हुए लक्ष्मण जी दोबारा बाहर गए और उन्होंने जोर से आवाज लगाई बाहर कोई आदमी नही था लेकिन एक कुत्ते को लक्ष्मण जी ने रोते हुए देखा। अन्दर आ कर उन्होंने प्रभू श्रीरामचन्द्र जी से कहा, ‘बाहर कोई व्यक्ति भूखा नहीं है बल्कि एक कुत्ता अवश्य रो रहा है। ‘
प्रभू श्रीरामचन्द्र जी ने उस कुत्ते को अंदर बुलाया और कुत्ते से पूछा, ‘ तुम रो क्यों रहे हो ? ‘
कुत्ते ने कहा, ‘एक ब्राह्मण ने मुझे डंडा मारा है।’
प्रभू श्रीरामचन्द्र जी ने ब्राह्मण को बुलवाया और उससे पूछा, ‘क्या यह कुत्ता सही बोल रहा है? ‘
ब्राह्मण ने कहा, ‘हां यह मेरे रास्ते में सो रहा था इसलिए मैंने इसे डंडा मारा है। यह कुत्ते जहां-तहां लेट जाते हैं, इन्हें डंडे से ही मारना चाहिए।
प्रभू श्रीरामचन्द्र जी समझ गए कि ब्राह्मण की ही गलती है परंतु ब्राह्मण को क्या कहें सो उन्होंने कुत्ते को पूछा, ‘ब्राह्मण ने तुम्हें डंडा मारा तो तुम क्या चाहते हो? ‘
कुत्ते ने कहा,’भगवान इसे मठाधीश बना दिया जाए।’
कुत्ते की बात सुनकर भगवान आश्चर्यित होकर मुस्कराने लगे और मुस्कराते हुए कुत्ते से पूछा,’ इस ब्राह्मण ने तुम्हें डंडा मारा बदले में तुम इन्हें मठाधीश बनाना चाहते हो। मठाधीश बनने से इनकी बहुत सेवा होगी, काफी चेले बन जाएंगे। इससे तुम्हारा क्या फायदा होगा।’
कुत्ता बोला, मैं भी मठाधीश था।जब मै मठाधीश था,तब मैने कई गलत काम किये थे,जिसकी सजा आज मैं कुत्ते की योनि में होकर काट रहा हू।मठाधीश होते समय जिस तरह मैने लोगो के साथ कुत्ते के समान आचरण किया था,उसीका फल मुझे लोगो के डंडे खाकर चुकाना पड़ रहा है।भगवान ये ब्राह्मण भी जब मठाधीश बनेगा तब ये भी कुत्ते की योनि में जाएगा,और पापों के फलस्वरूप लोगों के डंडे खाएगा और इसी तरह इसकी सजा पूरी हो जाएगी।

निष्कर्ष:-बुरे कर्मो की शिक्षा कभी न कभी भुगतनिही पड़ती है।


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