• बच्चों और उनके पैरेंट्स या दूसरे देखभाल करने वालों के बीच रिश्ते को अटैचमेन्ट कहते हैं।

  • ज़्यादातर लोगों के बचपन की यादों में सिर्फ वही शख्स होता है जिसने बचपन में उनकी देखभाल की थी। ज़्यादातर लोगों की देखभाल उनकी माँ करती हैं। बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के बीच इस खास रिश्ते को अटैचमेंट कहते हैं। अटैचमेंट का रिश्ता बच्चों की ज़िन्दगी के पहले साल से ही शुरू हो जाता है। क्योंकि छोटे बच्चे खुद से अपनी देखभाल नहीं कर सकते , इसलिए इस रिश्ते की उन्हें बहुत ज़रुरत होती है। ज़िन्दगी के पहले कुछ हफ़्तों में बच्चे किसी को नहीं पहचानते। धीरे-धीरे वो चेहरों को पहचाने और उनमें अंतर करना सीखते हैं।अटैचमेंट की शुरुवात तब होती है जब बच्चे अपनी देखभाल करने वाले के पास न होने पर दुखी हो जाते हैं।

  • बंदरों पर की गयी एक स्टडी में पाया गया कि बच्चों के लिए खाने से ज़्यादा ज़रूरी उनकी देखभाल और अटैचमेंट होती है। इस स्टडी में एक बन्दर के बच्चे को उसकी माँ से अलग कर एक पिंजरे में रख दिया गया जिसमें दो नकली बन्दर थे। एक बन्दर को मुलायम कपडे़ से लपेटा गया जबकि दूसरे में दूध के लिए एक निप्पल लगाया गया। ऐसा करने पर ये पाया गया कि बन्दर का बच्चा ज़्यादातर समय उस मुलायम कपडे वाले बन्दर के साथ बिताता था और निप्पल वाले बन्दर के पास सिर्फ दूध पीने ही जाता था।

  • अटैचमेंट एक ऐसा रिश्ता है जिसे हर किसी ने महसूस किया है। पर इसे लेकर बहुत सी विवादित बातें भी है, जिसे मानने वाले लोग पैरेंट्स को इसमें ढ़केलते रहते हैं। आने वाले सबक़ में हम इन बातों पर एक नज़र डालेंगे।

By REEMA SRIVASTAVA

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